आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ऑनलाइन शॉपिंग और फूड डिलीवरी ने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है। एक बटन दबाते ही पिज्जा, किराने का सामान या कोई जरूरी सामान हमारे दरवाजे तक पहुंच जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इस सुविधा के पीछे काम करने वाले डिलीवरी बॉय की जिंदगी कैसी होती है? जब हम 50 रुपये का ऑर्डर करते हैं, तो उस डिलीवरी बॉय की जेब में कितना पैसा जाता है? आइए, इस लेख में हम डिलीवरी बॉय की कमाई के गणित और उनकी जिंदगी की चुनौतियों को करीब से समझते हैं।
डिलीवरी बॉय की कमाई का हिसाब-किताबजब आप किसी फूड डिलीवरी ऐप या ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म से सामान मंगवाते हैं, तो आपके द्वारा किया गया भुगतान कई हिस्सों में बंट जाता है। इसमें से कुछ हिस्सा कंपनी के पास जाता है, कुछ टैक्स में और बाकी डिलीवरी बॉय की मेहनत की कमाई बनता है। उदाहरण के लिए, अगर आपका ऑर्डर 50 रुपये का है, तो डिलीवरी बॉय को उसका पूरा पैसा नहीं मिलता। ज्यादातर कंपनियां एक बेस पेमेंट और कमीशन का सिस्टम अपनाती हैं। मान लीजिए, अगर कंपनी का कमीशन 30% है, तो 50 रुपये के ऑर्डर पर डिलीवरी बॉय को करीब 12-15 रुपये ही मिलते हैं।
इसके अलावा, डिलीवरी बॉय को पेट्रोल, बाइक की मरम्मत और समय जैसे खर्चे खुद उठाने पड़ते हैं। कई बार तो एक ऑर्डर डिलीवर करने में इतना समय और मेहनत लगती है कि उनकी कमाई उम्मीद से काफी कम हो जाती है। फिर भी, यह काम लाखों युवाओं के लिए रोजगार का एक बड़ा साधन बन चुका है।
इंसेंटिव्स और बोनस: कितना फायदा?कई डिलीवरी कंपनियां अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव्स और बोनस देती हैं। अगर कोई डिलीवरी बॉय अपने तय किए गए टारगेट को समय से पहले पूरा करता है या ज्यादा ऑर्डर डिलीवर करता है, तो उसे अतिरिक्त पैसे मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ कंपनियां प्रति ऑर्डर 5-10 रुपये का बोनस देती हैं, अगर डिलीवरी समय पर हो और ग्राहक की शिकायत न आए।
हालांकि, यह बोनस भी इतना ज्यादा नहीं होता कि डिलीवरी बॉय की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला दे। इसके अलावा, इन बोनस पर टैक्स भी लगता है, जिससे उनकी कुल कमाई और कम हो जाती है। फिर भी, मेहनती डिलीवरी बॉय के लिए यह छोटी-छोटी रकम महीने के अंत में एक अच्छा जोड़ बन सकती हैं।
डिलीवरी बॉय की जिंदगी की चुनौतियांडिलीवरी बॉय का काम देखने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। बारिश हो या धूप, ट्रैफिक हो या सड़कों की खराब हालत, उन्हें हर हाल में ऑर्डर डिलीवर करना पड़ता है। कई बार ग्राहकों का गुस्सा भी झेलना पड़ता है, खासकर तब जब ऑर्डर में देरी हो या सामान में कोई कमी हो।
इसके अलावा, सामान खो जाने या डैमेज होने की स्थिति में डिलीवरी बॉय को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिससे उनकी कमाई पर असर पड़ता है। कई बार तो उन्हें अपनी जेब से पैसे भरने पड़ते हैं। ये चुनौतियां न सिर्फ उनके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ाती हैं।
इंश्योरेंस और सुरक्षा: कितनी सुविधाएं?कुछ डिलीवरी कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए इंश्योरेंस की सुविधा देती हैं, ताकि दुर्घटना या अन्य जोखिमों से उनकी आर्थिक सुरक्षा हो सके। लेकिन यह सुविधा हर कंपनी में उपलब्ध नहीं होती। कुछ कंपनियां केवल अपने फुल-टाइम राइडर्स को ही इंश्योरेंस देती हैं, जबकि पार्ट-टाइम डिलीवरी बॉय को इससे वंचित रहना पड़ता है।
इसके अलावा, इंश्योरेंस की प्रक्रिया भी इतनी जटिल होती है कि कई बार डिलीवरी बॉय इसका लाभ नहीं उठा पाते। फिर भी, कुछ कंपनियों के प्रयासों से डिलीवरी बॉय की जिंदगी में थोड़ी राहत जरूर आई है।
डिलीवरी बॉय: मेहनत का असली मूल्यअगली बार जब आप 50 रुपये का ऑर्डर करें और डिलीवरी बॉय आपके दरवाजे पर आए, तो एक बार उनकी मेहनत के बारे में जरूर सोचें। यह काम न सिर्फ शारीरिक मेहनत मांगता है, बल्कि धैर्य, समय और जोखिम का भी हिस्सा है। डिलीवरी बॉय की कमाई भले ही छोटी लगे, लेकिन उनकी मेहनत और समर्पण के बिना हमारी ऑनलाइन जिंदगी इतनी आसान नहीं होती।
अगर डिलीवरी बॉय अच्छा काम करते हैं, तो इंसेंटिव्स और बोनस उनकी कमाई को बढ़ा सकते हैं। लेकिन इसके लिए कंपनियों को भी और बेहतर नीतियां लानी होंगी, ताकि इन मेहनती लोगों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिले।
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