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तीन बच्चे जरूरी? RSS प्रमुख ने बताया भारत के भविष्य का राज!

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में दिल्ली में एक खास संबोधन में कुछ ऐसा कहा, जो हर भारतीय परिवार को सोचने पर मजबूर कर सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए। लेकिन ये बात उन्होंने क्यों कही? आइए जानते हैं इस बयान के पीछे की पूरी कहानी।

जनसंख्या स्थिरता का सवाल

मोहन भाग,weat ने अपने संबोधन में बताया कि भारत की जनसंख्या स्थिरता और समाज के संतुलन के लिए प्रजनन दर (Fertility Rate) का 2.1 या उससे ज्यादा होना बहुत जरूरी है। उनका कहना था कि अगर परिवार में सिर्फ एक या दो बच्चे होंगे, तो ये समाज की लंबे समय तक की सुरक्षा के लिए काफी नहीं है। कम प्रजनन दर की वजह से भाषाएं, संस्कृतियां और समुदाय धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर पहुंच सकते हैं। भागवत का ये बयान उन लोगों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है, जो छोटे परिवार को प्राथमिकता देते हैं।

पुरानी नीतियों का हवाला

मोहन भागवत ने अपने तर्क को और मजबूत करने के लिए 1990 और 2000 के दशक में बनी भारत की जनसंख्या नीतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय की प्रजनन दर अगर 2.1 से कम हो जाती है, तो उसका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। यह सिर्फ एक परिवार का फैसला नहीं, बल्कि पूरे देश के भविष्य और उसकी ताकत से जुड़ा हुआ सवाल है। भागवत ने साफ कहा कि हमें अपनी संस्कृति और समाज को बचाने के लिए इस दिशा में सोच-समझकर कदम उठाने होंगे।

राष्ट्र के लिए क्यों जरूरी?

भागवत का मानना है कि तीन बच्चों की नीति सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि ये राष्ट्र की ताकत और स्थिरता से जुड़ा हुआ है। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया से लेकर घरों तक चर्चा छेड़ दी है। कुछ लोग इसे देश के भविष्य के लिए जरूरी मान रहे हैं, तो कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर सवाल उठाने वाला कदम बता रहे हैं। लेकिन एक बात तो साफ है कि मोहन भागवत का ये बयान समाज में एक नई बहस को जन्म दे चुका है।

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