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चित्तौड़गढ़ के एक गांव में पाषाण युग की शैल चित्रकारी मिली

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जयपुर। इतिहासकारों को चित्तौड़गढ़ जिले के एक गांव में हाल ही में पाषाण युग की शैल चित्रकारी और नुकीली कलाकृतियों के साक्ष्य मिले हैं, जो इस इलाके में प्राचीन मानव इतिहास पर नई रोशनी डाल सकते हैं। इतिहासकारों का कहना है कि आलनिया नदी से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित यह जगह पाषाण युग की नक्काशी के केंद्र के रूप में हाड़ौती और चित्तौड़गढ़ के प्रागैतिहासिक महत्व को बढ़ाने वाला है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले सप्ताह 3 स्थानीय लोगों को रावतभाटा के अमरपुरा गांव के पास घने जंगली इलाके में एक चट्टान पर असामान्य निशान मिले। सूचना मिलने के बाद कोटा में 'महर्षि हिस्ट्री इंस्टीट्यूट' के इतिहासकार तेज सिंह अपनी टीम के साथ उस जगह पर पहुंचे।

उन्होंने वहां चट्टानों पर कप के आकार की नक्काशी और एक मोर्टार ओखली मिली जिसका उपयोग संभवत: शुरुआती मनुष्यों द्वारा भोजन पीसने के लिए किया जाता था। सिंह ने बताया कि चट्टानों पर कप के निशान, गोलाकार निशान प्रारंभिक पाषाण युग के लोगों की विशेषता हैं, जो संभवत: 35,000 से 2,00,000 साल पुराने हैं।

सिंह के अनुसार यह राजस्थान में मानव निवास का सबसे पुराना साक्ष्य हो सकता है। उन्होंने इस स्थान की तुलना 2003 में की गई इसी तरह की खोज से की, जो यहां से सिर्फ 200 मीटर दूर है। इस जगह मिले 2.4 किलोग्राम वजनी मोर्टार ओखली और नुकीले पत्थरों से लगता है कि शुरुआती निवासियों ने जंगली अनाज, मेवे और फलियां पकाने के लिए इन उपकरणों का इस्तेमाल किया होगा।

उन्होंने बताया कि इन साक्ष्यों व निष्कर्षों को आगे की जांच-पड़ताल के लिए जोधपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और पुरातत्व व संग्रहालय विभाग (डीएएम) के साथ साझा किया गया है। डीएएम के पूर्व अधीक्षक पुरातत्वविद जफरुल्लाह खान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाड़ौती तथा पड़ोसी मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र पाषाण युग के मानव बस्तियों के प्रमुख केंद्र थे।

खान ने कहा कि यह खोज आलनिया और चंबल नदियों के किनारे की पिछली खोजों से मेल खाती है। उन्होंने सरकार से इस क्षेत्र का संरक्षण करने और प्रारंभिक मानव जीवन के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर उत्खनन प्रयास शुरू करने का आह्वान किया। यूनेस्को के अनुसार चंबल घाटी और मध्य भारत दुनिया भर में पाषाण युगीन कला स्थलों के सबसे बड़े ज्ञात केंद्रों में से हैं।(भाषा)

Edited by: Ravindra Gupta

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