ईडी के अधिवक्ता सौरभ कुमार पांडेय ने संवाददाताओं को बताया कि कथित आरोपी को मंगलवार को ईडी की हिरासत की अवधि समाप्त होने पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (छठी) डमरुधर चौहान की अदालत में पेश किया गया। पांडेय ने कहा कि ईडी की हिरासत के दौरान, चैतन्य से पूछताछ की गई और उनका दस्तावेजों से उसका आमना-सामना कराया गया जिसमें उन्होंने कई बिंदुओं पर अपनी बात मानी।
ईडी के वकील ने बताया कि पूछताछ के लिए ज्यादा कुछ नहीं बचा था, इसलिए निदेशालय ने उनकी न्यायिक हिरासत की मांग की। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर एजेंसी अदालत की अनुमति से उनसे फिर पूछताछ कर सकती है। उन्होंने बताया कि अदालत ने उन्हें चार अगस्त तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
ईडी ने एक बयान में दावा किया था कि चैतन्य ने शराब घोटाले से हुई एक हजार करोड़ रुपए से ज़्यादा की अपराधिक कमाई का प्रबंधन किया और अपनी रियल एस्टेट परियोजना के विकास के लिए 16.7 करोड़ रुपए का इस्तेमाल किया। ईडी ने कहा कि चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए की अपराधिक आय प्राप्त हुई थी। यह पाया गया कि उन्होंने उक्त नकद राशि (अपराध की आय) का इस्तेमाल अपनी रियल एस्टेट परियोजना के विकास में किया था।
भूपेश बघेल ने आरोप लगाया है कि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, लेकिन उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है और वे उनके साथ सहयोग करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे के खिलाफ ईडी की कार्रवाई राज्य में कोयला खदानों के लिए पेड़ों की अवैध कटाई से ध्यान हटाने के लिए शुरू की गई थी, क्योंकि कांग्रेस पिछले हफ्ते विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने वाली थी।
कांग्रेस ने मंगलवार को ईडी की कार्रवाई के विरोध में राज्य के विभिन्न हिस्सों में चक्का जाम किया। ईडी ने कहा है कि कथित घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपए से अधिक गए। ईडी के अनुसार, राज्य में यह घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी।
ईडी ने जनवरी में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य लोगों को मामले की जांच के तहत गिरफ्तार किया था। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) / भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पिछले साल 17 जनवरी को यानी 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा मौजूदा कांग्रेस सरकार को हराने के लगभग एक महीने बाद प्राथमिकी दर्ज की थी और इसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड समेत 70 व्यक्तियों और कंपनियों को नामजद किया था। ईडी के अनुसार शराब की अवैध बिक्री से प्राप्त कथित कमीशन को राज्य के शीर्ष राजनीतिक लोगों के निर्देशों के अनुसार बांटा गया था।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta
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