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Bikaner न सुविधा का ध्यान, न तकनीक को बढ़ावा, इसलिए पिछड़ रहा जिला

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बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर प्रदेश में निजी बसें रोडवेज को लगातार पटखनी दे रही हैं। फिर भी रोडवेज है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा। दरअसल, मामला ऑनलाइन भुगतान से जुड़ा है। रोडवेज की ओर से यात्रियों से क्यूआर कोड से भुगतान की व्यवस्था शुरू होने से पहले ही धराशायी होती दिखाई दे रही है। एक ओर जहां सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की बात कह रही है, तो दूसरी ओर, रोडवेज की 60 फीसदी बसों के परिचालक क्यूआर कोड से भुगतान लेने से ही इनकार कर रहे हैं।

बीकानेर रोडवेज डिपो की बात करें, तो यहां से रोजाना बाहरी और लोकल रूटों पर 90 बसों का संचालन होता है। बसों में कई यात्री ऑनलाइन भुगतान का आग्रह करते हैं, लेकिन बस में मौजूद परिचालक टिकट का ऑनलाइन भुगतान नहीं लेकर नगद भुगतान के लिए जोर देते हैं। कई बार यात्रियों के पास नकद राशि पर्याप्त नहीं होने पर परिचालक और यात्रियों में विवाद भी होता है।

दूरगामी बसों और लोकल बसों में अलग-अलग व्यवस्था

बीकानेर से दूरगामी मार्गों पर जाने वाली बसों में क्यूआर कोड से भुगतान लिया जाता है। हालांकि, कई बार नेटवर्क की वजह से समस्या आती है। जबकि लोकल ग्रामीण रूट की बसों पर अक्सर ऑनलाइन भुगतान लेने को लेकर परिचालक और यात्रियों में विवाद होता है। परिचालकों का कहना है कि नेटवर्क की समस्या से भुगतान की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती। ऐसे में कई बार यात्रियों के रुपए बीच में अटक जाते हैं। इस पर वे नकद भुगतान कर टिकट लेते हैं। गौरतलब है कि बीकानेर डिपो में कुल 90 बसें हैं। इनमें से 29 बसें अनुबंधित हैं। 90 बसों में से 10 बसें ग्रामीण रूट पर चलती हैं। डिपो की सभी बसों में परिचालकों को मशीनें आबंटित हैं, जिसमें क्यूआर कोड से भुगतान लेने की सुविधा है। अगर परिचालक क्यूआर कोड से भुगतान लेने से मना करते हैं, तो जांच कराई जाएगी।

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